Hindi Shyari

Assalam O Alaikum! On this page of NOOR KI SHAYRI, you can read and enjoy the best Heart Touching Hindi Poetry




------------------------------------------------------------------------------

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या

------------------------------------------------------------------------------

मैं सब भूल जाऊंगा तुम याद रहना
सदा मेरी दुनिया में आबाद रहना

------------------------------------------------------------------------------

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए 

------------------------------------------------------------------------------

मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराए शो'लों का डर नहीं 
मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे

------------------------------------------------------------------------------

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ 

------------------------------------------------------------------------------

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए

------------------------------------------------------------------------------

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

------------------------------------------------------------------------------

अजब अंदाज़ के शाम-ओ-सहर हैं
कोई तस्वीर हो जैसे अधूरी

------------------------------------------------------------------------------

दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं
साँस लेने से टूट जाते हैं

------------------------------------------------------------------------------

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

------------------------------------------------------------------------------

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

------------------------------------------------------------------------------

क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो 
ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो 

------------------------------------------------------------------------------

कहते कहते कुछ बदल देता है क्यूँ बातों का रुख़
क्यूँ ख़ुद अपने-आप के भी साथ वो सच्चा नहीं

------------------------------------------------------------------------------

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

------------------------------------------------------------------------------

जीने के लिए आख़िर करना ही पड़ा मुझ को
दिन रात की गर्दिश में दिन रात से समझौता

------------------------------------------------------------------------------

जाने किस मोड़ पे ले आई हमें तेरी तलब
सर पे सूरज भी नहीं राह में साया भी नहीं

------------------------------------------------------------------------------

Post a Comment

0 Comments